योजना आयोग
योजना आयोग भारत सरकार की प्रमुख स्वतंत्र संस्थाओं में से एक था । भारत में योजना आयोग के संबंध में कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है। 15 मार्च 1950 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पारित प्रस्ताव के द्वारा योजना की स्थापना की गई थी। इसका मुख्य कार्य 'पंचवर्षीय योजनाएँ' बनाना था । इस आयोग की स्थापना 15 मार्च, 1950 को की गई थी। इस आयोग की बैठकों की अध्यक्षता प्रधानमंत्री ही करता था।
योजना आयोग का गठन
योजना आयोग के पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते थे । इसके बाद आयोग का उपाध्यक्ष संस्था के कामकाज को मुख्य रूप से देखता था। मा.नरेंद्र मोदी की सरकार बनने तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया थे, जिन्होंने बाद में इस्तीफ़ा दे दिया। कुछ महत्त्वपूर्ण विभागों के कैबिनेट मंत्री आयोग के अस्थायी सदस्य होते हैं, जबकि स्थायी सदस्यों में अर्थशास्त्री, उद्योगपति, वैज्ञानिक एवं सामान्य प्रशासन जैसे विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होते थे । ये विशेषज्ञ विभिन्न विषयों पर अपनी राय सरकार को देते थे । आयोग अपने विभिन्न प्रभागों के माध्यम से कार्य करता था ।
आयोग के उपाध्यक्ष
अब तक आयोग के उपाध्यक्ष का पद निम्नलिखित लोगों ने संभाला- गुलजारीलाल नंदा, टी. कृष्णमाचारी, सी. सुब्रह्मण्यम, पी. एन. हक्सर, मनमोहन सिंह, प्रणब मुखर्जी, के. सी. पंत, जसवंत सिंह, मधु दंडवते, मोहन धारिया और आर. के. हेगड़े आदि ।
सन 1950 में एक संकल्प द्वारा योजना आयोग की स्थापना के समय इसके कार्यों को इस प्रकार परिभाषित किया गया-
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में अपने पहले स्वतंत्र दिवस के भाषण में यह कहा कि उनका इरादा योजना कमीशन को भंग करना है। 2014 में इस संस्था का नाम बदलकर नीति आयोग (राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) किया गया और परिणामस्वरूप 1 जनवरी 2015 को नीति आयोग का जन्म हुआ
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