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विजयनगर साम्राज्य व बहमनी राज्य से संघर्ष

  • विजयनगर के शासकों और बहमनी सुल्तानों के मध्य आये दिन संघर्ष होते रहते थे। इन सुल्तानों के स्वार्थ तीन अलग-अलग क्षेत्रों- तुंगभद्रा के दोआब, कृष्णा-कावेरी घाटी और मराठवाड़ा में टकराये।
  • तुंगभद्रा दोआब, कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों के बीच का प्रदेश था। पहले भी यह प्रदेश अपनी आर्थिक समृद्धि के कारण पश्चिमी चालुक्यों और चोलों के बीच और बाद में होयसलों और यादवों के बीच संघर्ष का विषय रहा। कृष्णा-गोदावरी घाटी में अनेक बंदरगाहें थीं, जहाँ से इस क्षेत्र का समुद्री व्यापार होता था। तुंगभद्रा दोआब कृष्णा और तुंगभद्रा नदी के बीच का क्षेत्र था। अपनी आर्थिक सम्पदाओं के कारण यह क्षेत्र पूर्वकाल में पश्चिमी चालुक्यों और चोलो के बीच तथा बाद के समय में यादवों और होयसलों के बीच संघर्ष का क्षेत्र बना रहा।
  • कृष्णा-गोदावरी क्षेत्र जो बहुत ही उपजाऊ था और जो अपने क्षेत्र में फैले असंख्य बंदरगाहों के कारण विदेश-व्यापार का नियंत्रण रख सकता था, अक्सर तुंगभद्रा दोआब पर अधिकार की लड़ाई में जुड़ जाता था।
  • मराठा क्षेत्र की लड़ाई हमेशा कोंकण क्षेत्र और उससे जुड़ने वाले रास्तों पर अधिकार को लेकर होती थी। कोंकण पश्चिमी घाट और समुद्र के बीच की पतली भू-पट्टी थी। यह बहुत ही उपजाऊ क्षेत्र था और प्रदेश में बनने वाली वस्तुओं के निर्यात और इराकी तथा ईरानी घोड़ों के आयात के लिए एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह गोआ भी इसी में था। जैसा कि पहले कहा जा चुका है, अच्छी नस्लों के घोड़े भारत में नहीं मिलते थे। अतः दक्षिण राज्यों के लिए गोआ के रास्ते घोड़ों का आयात बहुत महत्त्वपूर्ण था।

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