Article378a- अनुच्छेद ३७८क : आंध्र प्रदेश विधान सभा की अवधि के बारे में विशेष..
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३७८क : १(आंध्र प्रदेश विधान सभा की अवधि के बारे में विशेष उपबंध । अनुच्छेद १७२ में किसी बात के होते हुए भी, राज्य पुनर्गठन अधिनियम, १९५६ की धारा २८ और २९ के उपबंधों के अधीन गठित आंध्र प्रदेश राज्य की विधान सभा, यदि पहले ही विघटित नहीं कर दी जाती है तो, उक्त धारा २९ में निर्दिष्ट तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक बनी रहेगी, इससे अधिक नहीं और उक्त अवधि की समाप्ति का परिणाम उस विधान सभा का विघटन होगा । ) ---------- १.संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, १९५६ की धारा २४ द्वारा अंत:स्थापित ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३७९ - अनुच्छेद ३९१ : निरसित । संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, १९५६ की धारा २९ और अनुसूची द्वारा निरसित ।
Article392- अनुच्छेद ३९२ : कठिनाइयों को दूर करने की राष्ट्रपति की शक्ति ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३९२ : कठिनाइयों को दूर करने की राष्ट्रपति की शक्ति । १) राष्ट्रपति किन्हीं ऐसी कठिनाइयों को, जो विशिष्टतया भारत शासन अधिनियम, १९३५ के उपबंधों से इस संविधान के उपबंधों को संक्रमण के संबंध में हों, दूर करने के प्रयोजन के लिए आदेश द्वारा निदेश दे सकेगा कि यह संविधान उस आदेश में विनिर्दिष्ट अवधि के दौरान उपांतरण, परिवर्धन या लोप के रूप में ऐसे अनुकूलनों के अधीन रहते हुए प्रभावी होगा जो वह आवश्यक या समीचीन समझे : परंतु ऐसा कोई आदेश भाग ५ के अध्याय २ के अधीन सम्यक् रूप से गठित संसद् के प्रथम अधिवेशन के पश्चात् नहीं किया जाएगा। २) खंड (१) के अधीन किया गया प्रत्येक आदेश संसद् के समक्ष रखा जाएगा । ३)इस अनुच्छेद, अनुच्छेद ३२४, अनुच्छेद ३६७ के खंड (३) और अनुच्छेद ३९१ द्वारा राष्ट्रपति को प्रदत्त शक्तियां, इस संविधान के प्रारंभ से पहले, भारत डोमिनियन के गवर्नर जनरल द्वारा प्रयोक्तव्य होंगी ।
Article393- अनुच्छेद ३९३ : संक्षिप्त नाम । इस संविधान का ...
भारत का संविधान : भाग २२ : संक्षिप्त नाम, प्रारंभ, १( हिन्दी में प्राधिकृत पाठ ) और निरसन : अनुच्छेद ३९३ : संक्षिप्त नाम । इस संविधान का संक्षिप्त नाम भारत का संविधान है । ---------- १.संविधान (अठावनवां संशोधन) अधिनियम, १९८७ की धारा २ द्वारा अंत:स्थापित ।
Article394- अनुच्छेद ३९४ : प्रारंभ । यह अनुच्छेद और ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३९४ : प्रारंभ । यह अनुच्छेद और अनुच्छेद ५,६,७,८,९,६०, ३२४,३६६,३६७,३७९,३८०,३८८,३९१, ३९२ और ३९३ तुरंत प्रवृत्त होंगे और संविधान के शेष उपबंध २६ जनवरी १९५० को प्रवृत्त होंगे जो दिन इस संविधान में इस संविधान के प्रारंभ के रूप में निर्दिष्ट किया गया है ।
Article394a- अनुच्छेद ३९४क : हिन्दी भाषा में प्राधिकृत पाठ ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३९४क : १.(हिन्दी भाषा में प्राधिकृत पाठ । १) राष्ट्रपति - क) इस संविधान के हिन्दी भाषा में अनुवाद को, जिस पर संविधान सभा के सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे, ऐसे उपांतरणों के साथ जो उसे केंद्रीय अधिनियमों के हिन्दी भाषा में प्राधिकृत पाठों में अपनाई गई भाषा, शैली और शब्दावली के अनुरूप बनाने के लिए आवश्यक हैं, और ऐसे प्रकाशन के पूर्व किए गए इस संविधान के ऐसे सभी संशोधनों को उसमें सम्मिलित करते हुए, तथा ख) अंग्रेजी भाषा में किए गए इस संविधान के प्रत्येक संशोधन के हिन्दी भाषा में अनुवाद को, अपने प्राधिकार से प्रकाशित कराएगा। २)खंड (१) के अधीन प्रकाशित इस संविधान और इसके प्रत्येक संशोधन के अनुवाद का वही अर्थ लगाया जाएगा जो उसके मूल का है और यदि ऐसे अनुवाद के किसी भाग का इस प्रकार अर्थ लगाने में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है तो राष्ट्रपति उसका उपयुक्त पुनरीक्षण कराएगा । ३) इस संविधान का और इसके प्रत्येक संशोधन का इस अनुच्छेद के अधीन प्रकाशित अनुवाद, सभी प्रयोजनों के लिए, उसका हिन्दी भाषा में प्राधिकृत पाठ समझा जाएगा। ) ----------- १.संविधान (अठावनवां संशोधन) अधिनियम, १९८७ की धारा ३ द्वारा अंत:स्थापित ।
Article395- अनुच्छेद ३९५ : निरसन । भारत स्वतंत्रता अधिनियम, १९४७ ..
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३९५ : निरसन । भारत स्वतंत्रता अधिनियम, १९४७ और भारत शासन अधिनियम, १९३५ का, पश्चात् कथित अधिनियम की, संशोधक या अनुपूरक सभी अधिनियमितियों के साथ, जिनके अंतर्गत प्रिवी कौंसिल अधिकारिता उत्सादन अधिनियम, १९४९ नहीं है, इसके द्वारा निरसन किया जाता है ।