भारतीय उपमहाद्वीप उच्चावच के दृष्टिकोण से विभिन्न स्थलाकृतियों का अनोखा सम्मिश्रण है। ये सभी उच्चावच भिन्न-भिन्न समयांतरालों पर हुए भूगर्भिक हलचलों व बाह्य कारकों का सम्मिलित परिणाम हैं।
भारतीय उपमहाद्वीप की वर्तमान भू-वैज्ञानिक संरचना व इसके क्रियाशील भू-आकृतिक प्रक्रम मुख्यत:अंतर्जनित व बहिर्जनिक बलों तथा प्लेट के क्षैतिज संचरण की अंत:क्रिया के परिणामस्वरूप अस्तित्व में आए हैं। भू-वैज्ञानिक संरचना व शैल समूह की भिन्नता के आधार पर भारत को तीन भू-वैज्ञानिक खंडों में विभाजित किया जाता है, जो भौतिक लक्षणों पर आधारित हैं।
प्रायद्वीपीय खंड
हिमालय और अन्य अतिरिक्त प्रायद्वीपीय पर्वतमालाएँ
सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान
किसी स्थान की भू-वैज्ञानिक संरचना, प्रक्रिया और विकास की अवस्था का परिणाम है भारत में धरातलीय विभिन्नताएँ बहुत महत्त्वपूर्ण हैं जिसके आधार पर भारत को निम्नलिखित भौगोलिक आकृतियों में विभाजित किया जाता है।