भारत : भाषाई तत्त्व
भारत में अत्यधिक भाषाई विविधता पाई जाती है । 1961 की जनगणना में विस्तृत भाषाई आँकड़ों को एकत्र किया गया । इस जनगणना के अनुसार भारत में 187 प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं । 187 में 94 भाषाएँ ऐसी हैं, जो 10 हजार से भी कम लोगों द्वारा बोली जाती हैं । देश की 97 प्रतिशत जनसंख्या सिर्फ 23 भाषाएँ बोलती हैं । भारत के लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं को निम्नलिखित चार भाषा-परिवारों में बाँटा गया है ।
1 . आग्नेय या आस्ट्रिक भाषा-परिवार (निषाद)-1.38% लोगों द्वारा प्रयुक्त ।
2 . चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार (किरात) -0.85% लोगों द्वारा प्रयुक्त ।
3 . द्रविड़ भाषा-परिवार-20% लोगों द्वारा प्रयुक्त ।
4. भारतीय यूरोपीय भाषा-परिवार (आर्य)-73% लोगों द्वारा प्रयुक्त ।
1. आग्नेय या आस्ट्रिक भाषा-परिवार- इस भाषा-परिवार के अंतर्गत मुख्य रूप से मध्य भारत की जनजातीय मेखला की जनजातीय भाषाएँ एवं बोलियाँ आती हैं । इनका संबंध आदिम आस्ट्रेलियाई भाषा समूह से है। इस भाषा-परिवार के अंतर्गत आने वाली भारत की विभिन्न भाषाओं को निम्न चार्ट में देखा जा सकता है ।
आस्ट्रिक-
क. मुंडा
ख. मान-ख्मेर
1. मुंडा- संथाली-मुंडा-हो-कोटुक
2. मान-ख्मेर- खासी-निकोबारी
आस्ट्रिक समूह में मुंडा सबसे बड़ी भाषाई शाखा है, जिसके अंतर्गत 14 जनजातीय बोलियाँ आती हैं । आस्ट्रिक समूह में संथाली भाषा बोलने वालों की संख्या सबसे अधिक है । कुल आस्ट्रिक बोलने वालों में आधे लोग संथाली बोलते हैं । इस भाषा-परिवार से संबंधित लोगों का वितरण मेघालय की खासी एवं जयंतिया पहाड़ियों में, निकोबार द्वीप समूह में, संथाल परगना, मयूरभंज, राँची, पूर्वी निमाड़, बेतुल आदि जनजातीय क्षेत्रों में है ।
2.चीनी-तिब्बती या किरात भाषा-परिवार- इस भाषा-परिवार के अन्तर्गत मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी, उत्तरी एवं उत्तर-पूर्व की जन-जातीय मेखला की भाषाएँ एवं बोलियाँ आती हैं,
चीनी-तिब्बती
तिब्बती-हिमालयी वर्ग में लद्दाखी बोलने वालों की संख्या सबसे अधिक है । हिमालयी वर्ग में किन्नौरी बोलने वालों की संख्या सबसे अधिक है । उत्तर-असमी भाषा समूह में मिरी बोलने वालों की संख्या सबसे अधिक है । असमी-बर्मी भाषा समूह में मणिपुरी बोलने वालों की संख्या सबसे अधिक है । नागा समूह में सबसे अधिक विविधता है ।
3.द्रविड़ भाषा-परिवार- इसके अंतर्गत मुख्यतः प्रायद्वीपीय भारत की भाषाओं को शामिल किया जाता है ।
द्रविण
भारत के अन्य भाषा-परिवारों की तुलना में द्रविड़ भाषा समूह में कम विविधता पाई जाती है । तमिल, तेलुगू, कन्नड़ एवं मलयालम मुख्य भाषाएँ हैं, जिसे बोलने वालों की संख्या कुल द्रविड़ बोलने वालों की संख्या का 96 प्रतिशत है ।
4.भारतीय-यूरोपीय या आर्य भाषा-परिवार- इस भाषा-परिवार में उत्तर भारत के मैदानी भागों की भाषाओं को शामिल किया जाता है । हालाँकि, इसके अन्तर्गत प्रायद्वीपीय पठार की गुजराती, मराठी एवं कोंकणी भाषाएँ भी शामिल हैं । इस भाषा-परिवार की मुख्य भाषा हिन्दी है, जो हमारे देश की सबसे अधिक जनसंख्या द्वारा बोली जाती है ।
हिन्दी हमारे देश की राजभाषा है ।
भारतीय आर्य
भारत के प्रमुख भाषाई प्रदेश
1.कश्मीरी : कश्मीर घाटी
2.पंजाबी : पंजाब और हरियाणा के निकटस्थ क्षेत्र
3.हिंदी : हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश,बिहार, उत्तराखंड और झारखंड
4.बांग्ला : पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा ।
5.असमिया : असम
6.उड़िया : उड़ीसा
7.गुजराती : गुजरात
8.मराठी : महाराष्ट्र
9.कन्नड़ : कर्नाटक
10.तेलुगू : आंध्र प्रदेश
11.तमिल : तमिलनाडु
12.मलयालम : केरल ।
भारत की मुख्य भाषाएँ एवं कुल जनसंख्या में इन भाषाओं को बोलने वालों का प्रतिशत-
भाषाएँ कुल जनसंख्या का प्रतिशत
(1991 की जनगणना के अनुसार)
1 . हिन्दी 39.85
2 . बांग्ला 8.22
3 . तेलुगू 7.80
4 . मराठी 7.38
5 . तमिल 6.26
6 . उर्दू 5.13
7 . गुजराती 4.81
8 . कन्नड़ 3.87
9 . मलयालम 3.59
10 . उड़िया 3.32
11 . पंजाबी 2.76
12 . असमी 1.55
13 . सिंधी 0.25
14 . नेपाली 0.25
15 . कोंकणी 0.21
16 , मणिपुरी 0.15
17 . कश्मीरी -
18 . संस्कृत 0.01
[भाषा आधारित जनगणना के नवीनतम आँकड़े उपलब्ध नहीं होने के कारण 1991 के आँकड़े दिए गए हैं ।]
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