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कार्यपालिका  

 भारतीय संविधान में दोहरी सरकार की व्यवस्था है एक केन्द्र में तथा दूसरी विभिन्न राज्यों में | संविधान के भाग IV में राज्य शासन के लिए एक सी संरचना अधिकथित की गयी है।  दोनों सरकारें संसदीय प्रणाली की होती है, जिनमें एक ही स्तर पर दो तरह के कार्यपालिका प्रमुखों की व्यवस्था है। इनमें से एक नाम मात्र तथा दूसरा वास्तविक अर्थो में कार्यपालिका का प्रमुख होता है। जिस प्रकार केंद्र में नाम मात्र का कार्यपालिका का प्रमुख राष्ट्रपति होता है और वास्तविक अर्थो में कार्यपालिका का अधिकार प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद के पास होते है जो सामूहिक रूप से संसद के प्रति जिम्मेदार होती है । ठीक इसी तरह राज्य स्तर पर नाममात्र का कार्यपालिका प्रमुख राज्यपाल होता है, जबकि वास्तविक अधिकार मुख्यमंत्री की नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद के पास होते है- जो सामूहिक रूप से राज्य विधायिका के प्रति जिम्मेदार है। राज्यपाल के काम करने का ढंग राज्य की राजनीतिक स्थिति पर निर्भर करता है। सामान्य समय में जब राज्य में बहुमत वाली स्थायी सरकार होती है, तब राज्यपाल नाममात्र का प्रमुख होता है। लेकिन असमान्य परिस्थितियों में जब राज्य में राजनीतिक अस्थिरता रहती है तब राज्यपाल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि राज्यपाल के विशेष विवेकाधिकार होते है और असामान्य परिस्थितियों में वह अपने कार्यो को सही ढंग से करने के लिए इनका प्रयोग कर सकता है (अनुच्छेद 163 (1))

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