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कश्मीर

        1301 ई. में सूहादेव ने कश्मीर में सुदृढ़ हिन्दूराजवंश की स्थापना की। 1339 ई. में शाह मिर्जा अथवा शाहमीर नामक स्वात के साहसकर्मी (कश्मीर के राजा का मंत्री) ने कश्मीर के सिंहासन पर अधिकार कर लिया और वहां मुस्लिम वंश (शाहमीर वंश) की स्थापना की। इस वंश के संस्थापक शाहमीर या सुल्तान शमसुद्दीन ने न्याय तथा निष्पक्षता के आधार पर शासन करना आरंभ किया। उसने कश्मीर में सामन्तवादी व्यवस्था को समाप्त करके अपने निष्ठावान हिन्दू और मुसलमान सेनानायकों को इक्ताएं आवंटित की और इस प्रकार तुर्की शासन व्यवस्था को प्रचलित किया।

शिहाबुद्दीन (1356-1374 ई.)

  • इसे शाहमीर वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। उसने सम्पूर्ण कश्मीर पर अपने प्रभुत्व की स्थापना की और शासन का पुनर्गठन किया।

सिकंदर (1389-1413 ई.)

  • इस वंश का अगला महत्वपूर्ण शासक सिकंदर था। उसी के शासनकाल में तैमूर ने भारत पर आक्रमण किया।
  • सिकंदर के शासनकाल में प्रमुख ईरानी आप्रवासी सूफी संत सैय्यद अली हमदानी का पुत्र सैय्यद मुहम्मद हमदानी कश्मीर आया था। सुल्तान ने उसका सम्मानपूर्वक स्वागत किया और उनके लिए खानकाह का निर्माण कराया। सती प्रथा पर रोक लगायी।
  • सिकंदर एक धर्मान्ध शासक था। उसने सुहाभट्ट नामक एक ब्राम्हण को अपना प्रधान सेनापति एवं मुख्य परामर्शदाता नियुक्त किया। बाद में सुहाभट्ट ने इस्लाम धर्म अंगीकार कर लिया।
  • सिकंदर ने गैर मुसलमानों पर अनेक अत्याचार किये। उसके अत्याचारों का उल्लेख करते हुए फरिश्ता ने लिखा है कि ‘‘सुहाभट्ट के सुझाव पर सुल्तान ने आज्ञा दी कि सभी ब्राम्हण तथा विद्वान हिन्दू मुसलमान बन जाए और जो इस्लाम धर्म स्वीकार न करे, वे घाटी (कश्मीर) से निकल जाय।’’
  • उसके समय में मंदिर नष्ट किये गये और सोने-चांदी की मूर्तियां शाही टकसाल में गलाकर सिक्कों में परिवर्तित कर दी गई

सुल्तान जैनुल आबिदीन (1420-1470 ई.)

  • नवीन सुल्तान अपने पिता सिकंदरशाह की कट्टर धर्मान्ध नीतियों के बिल्कुल प्रतिकूल उदार, जनकल्याणकारी और सहिष्णुतावादी नीतियों का अनुसरण किया।
  • उसने अपने पिता द्वारा विनष्ट किये गये हिन्दू मंदिरों का पुनर्निर्माण कराया, जिन ब्राम्हणों को कश्मीर से निकल जाने के लिए बाध्य किया गया उन्हें स्वदेश आने के लिए प्रेरित किया गया।
  • आबिदीन ने जजिया हटा दिया। गोहत्या निषिद्ध कर दिया। हिन्दुओं की भावनाओं का आदर करते हुए सती प्रथा पर से प्रतिबंध हटा दिया।
  • वह कश्मीरी, फारसी, संस्कृत और अरबी का विद्वान था। वह ‘कुतुब’ उपनाम से फारसी में कविताएं लिखता था
  • उसके आदेश पर महाभारत एवं राजतरंगिणी का फारसी में अनुवाद किया गया। वह संगीत प्रेमी था। ग्वालियर के राजा ने उसके संगीत प्रेम के विषय में सुनकर उसे दो दुर्लभ संस्कृत संगीत-ग्रन्थ भेजे थे।
  • कश्मीरी लोगों ने उसे वुडशाह (महान नरेश) की उपाधि से सम्मानित किया। उसकी उदार नीतियों के कारण उसे ‘कश्मीर का अकबर’ और मूल्य नियंत्रण व्यवस्था के कारण ‘कश्मीर का अलाउद्दीन खिलजी’ कहा जाता है।
  • वूलरझील में जैना लंका नामक द्वीप का उसी ने निर्माण करवाया था
  • उसने शिकायतनामा ग्रन्थ की रचना। अपने बड़े पुत्र को उसने देश निकाला दे दिया था
  • इसके उत्तराधिकारी बड़े अयोग्य थे जिसके परिणामस्वरूप 1586 ई. में मुगल बादशाह अकबर ने कश्मीर को अपने साम्राज्य में मिला लिया।

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