जौनपुर
फिरोज तुगलक ने अपने चचेरे भाई मुहम्मद जौना खां की स्मृति में जौनपुर की स्थापना की, जो बाद में शर्की साम्राज्य की राजधानी बनी।
ख्वाजा जहाँ
- तैमूर के आक्रमण से दिल्ली में फैली अस्थिरता का लाभ उठाकर 1394 ई. में फिरोज तुगलक के एक हिजड़े मलिक सरवर (ख्वाजा जहाँ) ने जौनपुर में एक स्वतंत्र शर्की राज्य की स्थापना की।
- सुल्तान मुहम्मद शाह तुगलक द्वितीय ने उसे ‘मलिक-उश-शर्क’ (पूर्व का शिराज) तथा ‘ख्वाजा-ए-जहां’ की उपाधि प्रदान की।
इब्राहीम शाह शर्की (1401-1440 ई.)
- यह सुसंस्कृत कला एवं साहित्य का प्रेमी था। उसके काल में जौनपुर मुस्लिम विद्या का एक महत्वपूर्ण केन्द्र बन गया।
- उसने स्वयं सिराज-ए-हिन्द की उपाधि धारण की।
- प्रसिद्ध अटाला मस्जिद जो अब जौनपुर ढंग की शिल्प विद्या के देदीप्यमान नमूने के रूप में खड़ी है। 1408 ई. इब्राहीम शर्की के काल में पूरी हुई।
हुसैनशाह शर्की
- इसके शासनकाल में लोदी शासक बहलोल लोदी ने जौनपुर पर आक्रमण किया और उसे दिल्ली सल्तनत में मिला लिया।
- शर्की शासक के अधीन यहां हुई सांस्कृतिक उन्नति के कारण जौनपुर को ‘भारत का शिराज’ कहा जाता था।