मालवा
मालवा का राज्य नर्मदा और ताप्ती नदियों के बीच पठार पर स्थित था। 1305 ई. इस राज्य पर अलाउद्दीन खिलजी ने अधिकार कर लिया था।
मालवा की स्वतंत्र सत्लनत की स्थापना (1401 ई.) हुसैन खां गोरी ने की थी जिसे फिरोज तुगलक ने अमीर के रूप में दिलावर खां की उपाधि प्रादन की थी। उसने धार को अपनी प्रान्तीय राजधानी बनाया।
अल्पखां
- 1406 ई. में दिलावर खां का महत्वाकांक्षी पुत्र अल्प खां, हुशंग शाह का विरूद धारण करके मालवा की गद्दी पर बैठा।
- 1407 ई. में गुजरात के शासक मुजफ्फर शाह ने मालवा पर आक्रमण करके उसे बन्दी बना लिया तथा मालवा पर अधिकार कर लिया।
- गुजरात से मुक्त होने के बाद हुशंग शाह ने माण्डू को अपनी राजधानी बनाई।
- हुशंग शाह एक अत्यंत लोकप्रिय शासक था। उसने बहुसंख्यक हिन्दुओं के प्रति सहिष्णुता की उदार नीति अपनाई। उसने अनेक हिन्दुओं (राजपूतों) को मालवा में बसने के लिए प्रोत्साहित किया।
- हुशंगशाह ने जैनियों को सहायता प्रदान की जो राज्य के मुख्य व्यापारी एवं साहूकार थें सफल व्यापारी नरदेव सोनी उसका खजांची और सलाहकार था।
- हुशंगशाह महान विद्वान और रहस्यवादी सूफी संत शेख बुहरानुद्दीन का शिष्य था। उसके संरक्षण में अनेक सूफी संत मालवा की ओर आकर्षित हुए। उसने हिन्दुओं को मंदिर आदि निर्मित कराने की पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान की।
- 1435 ई. में अपनी मृत्यु से पूर्व उसने नर्मदा के किनारे होशंगाबाद नगर की स्थापना की।
महमूद खिलजी प्रथम (1436-1469 ई.)
- 1436 ई.में सुल्तान महमूद गोरी को उसके वजीर खिलजी तुर्क महमूद खां ने जहर देकर मार डाला और तख्त पर कब्जा करके खिलजी वंश की नींव डाली। वह मालवा के सुल्तानों में सर्वाधिक शक्तिशाली माना जाता है।
- महमूद ने अपने पिता के संरक्षण में शासन प्रारंभ किया।
- उसने अपना अधिकांश जीवन विभिन्न राजाओं से युद्ध करने में बिताया। ऐसा कोई वर्ष मुश्किल से नहीं जाता रहा होगा ज बवह मैदान में न उतरता हो।
- उसके विषय में फरिश्ता ने लिखा है कि ‘‘इस तरह शिविर उसका घर बन गया था और युद्ध का मैदान उसके लिए आरामगाह था। वह अपने फुरसत के क्षण दुनिया के विभिन्न राजदरबारों के इतिहासों और संस्मरणों को सुनने में व्यतीत करता था।’’
- मेवाड़ के साथ राणा कुम्भा से हुए युद्धों में दोनों शासकों ने विजय का दावा किया है। राणा कुम्भ ने चित्तौड़ में ‘विजय स्तंभ’ बनवाया और महमूद खिलजी ने माण्डू में सात मंजिलों वाला स्तंभ स्थापित किया।
- उसके शासन काल में मालवा का गौरव अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच गया उसने गैर मुस्लिम प्रजा के प्रति उदारतापूर्ण नीति अपनाई और उन्हें शासन में उच्च पदों पर नियुक्त किया।
- उसने व्यापार एवं वाणिज्य के संवर्धन के लिए जैन पूंजीपतियों को संरक्षण प्रदान किया। प्रजा के स्वास्थ्य के लिए उसने माण्डू में एक चिकित्सालय की स्थापना की, जिसमें रोगियों के ठहरने के लिए तथा औषधियों की पर्याप्त व्यवस्था थी।
- शिक्षा के लिए उसने माण्डू में एक आवासीय महाविद्यालय की भी स्थापना की।
गयासुद्दीन
- गयासुद्दीन के चरित्र में बड़ा अन्तर्विरोध था। वह बाह्य तौर पर पवित्र एवं धार्मिक जीवन व्यतीत करने का दिखावा करता था, पर व्यक्तिगत जीवन में वह नितांत इन्द्रियलोलुप था।
- उसके महल में 16000 दासियां थीं जिनमें से अनेक हिन्दू सरदारों की पुत्रियां भी थीं। उसने इथोपियाई एवं तुर्की दासियों की एक अंगरक्षक सेना गठित की।
महमूद द्वितीय
- महमूद शाह खलजी द्वितीय (1511 ई.) बड़ी विषम परिस्थितियों में सुल्तान बना था।
- उसने मुसलमान अमीरों के षड्यंत्रों से अपनी रक्षा के लिए चंदेरी के राजपूत शासक मेदनी राय को अपना वजीर नियुक्त किया।
- 1531 ई. में गुजरात के शासक बहादुरशाह ने महमूद को पराजित कर मालवा को गुजरात राज्य में मिला लिया।