बिरसा मुंडा का कार्यक्षेत्र रांची से लेकर भागलपुर तक था । बिरसा मुंडा का मुख्य उद्देश्य जनजातियों में समाज सुधार करना तथा इन्हें ब्रिटिश सत्ता से दूर रखना था । बिरसा ने अनेक देवताओं (बोंगा) की पूजा को छोड़कर अपने अनुयायियों को एक ईश्वर (सिंग बोंगा) की पूजा करने का आह्वान किया ।
2: मोपला विद्रोह (1921) कहाँ हुआ था ?
(A) तेलंगाना में
(B) मालाबार में
(C) मराठावाड़ में
(D) विदर्भ में
मोपला विद्रोह केरल के मालाबार क्षेत्र में मोपलाओं द्वारा किया गया था , यहां पर काश्तकार अधिकतर बटाईदार मुसलमान थे तथा जमींदार अधिकतर हिंदू थे । आंदोलन जमींदारों के शोषण के खिलाफ था तथा इसका अन्य कारण अंग्रेजी सरकार की खिलाफत विरोधी नीतियां थीं ।
3: भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान हए नागरिक विद्रोह के दो प्रसिद्ध नेता सिद्धू तथा कान्हु कौन-से समुदाय के थे ?
(A) कोली
(B) मुण्डा
(C) सन्थाल
(D) भील
सिद्धू तथा कान्हू सन्थाल समुदाय के थे । 1855-56 ई० के सन्थाल विद्रोह सीद्धू तथा कान्हू के नेतृत्व में ही हुए थे । यह विद्रोह राजमहल की पहाड़ियों (झारखण्ड) में हुआ था । शुरू में यह विद्रोह महाजन एवं व्यापारियों के विरुद्ध था, परन्तु बाद में पुलिस, गोरे, काश्तकार, रेलवे अभियन्ता और अधिकारियों के खिलाफ हो गया छह महीने तक विद्रोह चला ।
4: ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने के लिए 'कूका ' आन्दोलन कहाँ संगठित हुआ था ?
(A) पंजाब
(B) उत्तर प्रदेश
(C) बिहार
(D) महाराष्ट्र
ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेकने के लिए 'कूका' आन्दोलन पंजाब में संगठित हुआ था । कूका आन्दोलन की शुरूआत पश्चिमी पंजाब में भगत जवाहर मल ने 1840 ई. में की थी । भगत जवाहर मल सियान साहब के नाम से चर्चित थे । इस आन्दोलन का उद्देश्य सिख धर्म में व्याप्त अन्धविश्वासों और बुराइयों को दूर करना था, कूका आन्दोलन वहाबी आन्दोलन से बहुत कुछ मिलता-जुलता था । वहाबी आन्दोलन की तरह ही कूका आन्दोलन ने भी एक धार्मिक आन्दोलन के रूप में शुरू होकर बाद में राजनीतिक रूप ले लिया ।
5: महात्मा गांधी ने वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि उनकी बड़ी संगठन क्षमता के कारण किस आंदोलन में दी थी ?
(A) खेड़ा सत्याग्रह में
(B) बारदोली सत्याग्रह में
(C) नमक सत्याग्रह में
(D) व्यक्तिगत सत्याग्रह में
वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में बारदोली का सफल किसान आंदोलन सम्पन्न हुआ। बारदोली सत्याग्रह के समय ही यहां की महिलाओं की ओर से गांधीजी ने वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि प्रदान की।
6: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए तथा दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चुनाव कीजिए-
1. बंगाल की ‘प्रांतीय किसान सभा’ द्वारा तिभागा आंदोलन प्रारंभ किया गया था।
2. इस आंदोलन से सम्पूर्ण भारत प्रभावित हुआ।
(A) केवल 1 सही है
(B) केवल 2 सही है
(C) 1 व 2 दोनों सही हैं
(D) इनमें से कोई भी सही नहीं है
सितंबर, 1946 में बंगाल की ‘प्रांतीय किसान सभा’ द्वारा तिभागा आंदोलन प्रारंभ किया गया। इस आंदोलन में बर्गादारों (बटाईदारों) की मांग थी कि जमींदारों का फसल में हिस्सा आधे भाग से कम करके एक-तिहाई किया जाए तथा शेष दो-तिहाई हिस्सा बर्गादारों का हो। इस आंदोलन से उत्तरी बंगाल के जिले विशेष रूप से प्रभावित हुए।
7: अवध के एका आंदोलन का उद्देश्य क्या था ?
(A) सरकार को लगान देना बंद करना
(B) जमींदारों के अधिकारों की रक्षा करना
(C) सत्याग्रह की समाप्ति
(D) लगान का नकद में परिवर्तन
एका आंदोलन (1921-22) का नेतृत्व पिछड़ी जाति के मदारी पासी ने किया था। इस आंदोलन में, जिसकी गतिविधि के मुख्य केंद्र हरदोई, बाराबंकी, बहराइच तथा सीतापुर थे, किसानों की मुख्य शिकायतें लगान में बढ़ोत्तरी और उपज के रूप में लगान वसूल करने की प्रथा को लेकर थी।
8: वह प्रदेश कौन था, जहां बाबा रामचंद्र ने किसानों को संगठित किया?
(A) अवध
(B) बिहार
(C) बंगाल
(D) आंध्र
• 1919 के अंतिम दिनों में किसानों का संगठित विद्रोह खुलकर सामने आया। अवध के प्रतापगढ़ जिले की एक जागीर में ‘नाई-धोबी बंद’ सामाजिक बहिष्कार एवं संगठित कार्रवाई की पहली घटना थी।
• झिंगुरी सिंह और दुर्गपाल ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन जल्दी ही आंदोलन में एक नया चेहरा उभरा-बाबा रामचंद्र, जिन्होंने आंदोलन की बागडोर ही नहीं संभाली, अपितु उसे और मजबूत एवं जुझारू बनाया।
• बाबा रामचंद्र महाराष्ट्र के ब्राम्हण परिवार के थे। 1920 के मध्य में वे एक किसान नेता के रूप में उभरे तथा उन्होंने अवध के किसानों को संगठित करना शुरू किया। उनमें संगठन की अद्भुत क्षमता थी। 1920 में इनके प्रयासों से प्रतापगढ़ में ‘अवध किसान सभा’ का गठन हुआ।
9: निम्न में से कौन फरवरी, 1918 में स्थापित यू.पी. किसान सभा की स्थापना से संबद्ध नहीं था?
(A) इंद्रनारायण द्विवेदी
(B) गौरीशंकर मिश्र
(C) जवाहरलाल नेहरू
(D) मदनमोहन मालवीय
अवध में होमरूल लीग आंदोलन के कार्यकर्ता काफी सक्रिय थे। इन्होंने किसानों को संगठित करना शुरू किया। संगठन को नाम दिया गया ‘किसान सभा’। फरवरी, 1918 में इंद्र नारायण द्विवेदी, गौरीशंकर मिश्र और मदनमोहन मालवीय के प्रयासों से ‘यू.पी. किसान सभा’ की स्थापना हुई।
10: निम्नलिखित घटनाओं पर विचार कीजिए-
1. नील विद्रोह
2. संथाल विद्रोह
3. दक्कन दंगे
4. सिपाही विद्रोह
इन घटनाओ का सही कलानुक्रम है ?
11: भारत में 19वीं शताब्दी के जनजातीय विद्रोह के लिए निम्नलिखित में से कौन-से तत्व ने साझा कारण मुहैया किया ?
(A) भू-राजस्व की नई प्रणाली का लागू होना और जनजातीय उत्पादों पर कर का लगाए जाना
(B) जनजातीय क्षेत्रों में विदेशी धर्म प्रचारकों का प्रभाव
(C) जनजातीय क्षेत्रों में बिचैलियों के रूप में बड़ी संख्या में महाजनों, व्यापारियों और लगान के ठेकेदारो का बढना
(D) जनजातीय समुदायों की प्राचीन भूमि संबंधी व्यवस्था का संपूर्ण विदारण
विकल्प ‘प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय’ में दिए गए कारण जनजातीय विद्रोह के कारण थे लेकिन मुख्य साझा कारण अंतिम विकल्प ‘चतुर्थ’ में दिया गया कारण था।
12: मानव बलि प्रथा का निषेध करने के कारण अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह करने वाली जनजाति का नाम-
(A) कूकी
(B) खोंद
(C) उरांव
(D) नैकदा
खोंद जनजाति के लोग तमिलनाडु से लेकर बंगाल और मध्य भारत तक फैले विस्तृत पहाड़ी क्षेत्रों में रहते थे और पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण वे वस्तुतः स्वतंत्र थे। इन्होंने 1837 से 1856 तक अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह किया। इस आंदोलन का नेतृत्व युवा राजा के नाम पर चक्र बिसोई ने किया। इस विद्रोह का मुख्य कारण ब्रिटिश सरकार द्वारा मानव बलि ‘मरिहा’ को प्रतिबंधित करने का प्रयास, अंग्रेजों द्वारा नए करों का आरोपण और अनेक क्षेत्रों में जमींदारों तथा साहूकारों के प्रवेश से संबंधित था ।
13: निम्नलिखित में से कौन 'फराजी विद्रोह' का नेता था ?
(A) आगा मुहम्मद रजा
(B) दादू मियां
(C) शमशेर गाजी
(D) वजीर अली
'फराजी लोग' बंगाल के फरीदपुर के हाजी शरीयतुल्ला द्वारा चलाए गए संप्रदाय के अनुयायी थे। ये लोग अनेक धार्मिक, सामाजिक तथा राजनैतिक आमूल परिवर्तनों का प्रतिपादन करते थे। शरीयतुल्ता के पुत्र दादू मियां ने बंगाल से अंग्रेजों को निकालने की योजना बनाई। यह विद्रोह 1838-1860 के दौरान चलता रहा, अंत में इस संप्रदाय के अनुयायी वहाबी दल में सम्मिलित हो गए।
14: बंकिमचंद्र चटर्जी के प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ का कथानक आधारित है-
(A) चुआर विद्रोह पर
(B) रंगपुर तथा दिनाजपुर के विद्रोह पर
(C) विष्णुपुर तथा वीरभूमि में हुए विद्रोह पर
(D) संन्यासी विद्रोह पर
वंदे मातरम के रचयिता बंकिमचंद्र चटर्जी ने अपने उपन्यास आनंदमठ में संन्यासी विद्रोह का उल्लेख किया है। वारेन हेस्टिंग्स एक लंबे अभियान के पश्चात ही इस विद्रोह को दबा पाने में सफल हुआ।
15: 1857 के विद्रोह के ठीक बाद बंगाल में निम्नलिखित में से कौन-सा विद्रोह हुआ?
(A) संन्यासी विद्रोह
(B) संथाल विद्रोह
(C) नील विद्रोह
(D) पाबना विद्रोह
1857 के विद्रोह के ठीक बाद बंगाल में नील विद्रोह ‘1859-60’ हुआ। संन्यासी विद्रोह 1763-1800 में; संथाल विद्रोह-1855-66 में तथा पाबना विद्रोह -1873-76 में हुआ | नील विद्रोह की शुरूआत बंगाल के नदिया जिले के गोविंदपुर गांव से हुई।