1: सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिये तथा नीचे दिए गये कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
सूची-I (सूफी शेख) सूची-II (सम्प्रदाय)
A. बहाउद्दीन जकारिया 1.सुहरावर्दी
B. सर्फउद्दीन याहिया 2. फिरदौसी
C. ख्वाजा बकी बिल्लाह 3. नक्शवन्दी
D. अब्दुल कादिर जिलानी 4. कादरी
कूट:
(A) A1, B2, C3, D4
(B) A2, B1, C3, D4
(C) A2, B4, C3, D1
(D) A3, B2, C1, D4
भारत मे, सुहरावर्दी सिलसिले का प्रचार-प्रसार शेख बहाउद्दीन जकारिया ने किया था । सर्फउद्दीन याहिया मनेरी ने फिरदौसी सिलसिला की स्थापना की । इस सिलसिला का मुख्य केन्द्र बिहार में राजगीर था । ख्वाजा बकी बिल्लाह ने भारत में नक्शबन्दी सिलसिला की स्थापना की थी तथा अब्दुल कादिर जिलानी कादरी सिलसिला के संस्थापक थे ।
2: निम्नलिखित कथन पर विचार कीजिए और नीचे दिये गये कूट से सही उत्तर चुनिए-
कथन (A)-चिश्ती सम्प्रदाय के सूफी संत अपने का राजाओं, कुलीनों एवं धनवानों से सम्बद्ध नहीं रखते थे ।
कारण (R) वे धन एवं शक्ति से घृणा करते थे और धनवान को तुच्छ समझते थे ।
(A) (A) और (R) दोनों सही हैं और (A) की सही व्याख्या (R) है
(B) (A) और (R) दोनों सही हैं और (A) की सही व्याख्या (R) नहीं है
(C) (A) सही है किन्तु (R) गलत है
(D) (A) गलत है किन्तु (R) सही है
भारत मे चिश्ती सम्प्रदाय की स्थापना ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती ने की थी । इनकी दरगाह अजमेर में है । चिश्ती सिलसिले के अनुयायी सादा जीवन व्यतीत करते थे । इनका मानना था कि गीत , आर्थिक कष्ट तथा रहस्यमय ज्ञान से प्रभु की प्राप्ति हो सकती है । इन्होने राजकीय संरक्षण स्वीकार नहीं किया और अपने आपको राजा , कुलीन एवं धनवान से अलग रखा क्योकि ये धन एवं शक्ति से घृणा करते थे ।
3: निम्नलिखित में से किस सूफी सिलसिले ने नियमित यौगिक क्रियाओं को अपनाया ?
(A) चिश्ती
(B) सुहरावर्दी
(C) कादिरी
(D) शत्तारी
निजामुद्दीन औलिया प्रसिद्ध चिश्ती सन्त थे । से यौगिक प्राणायम करते थे तथा यौगिक क्रिया में इतने निपुण थे कि लोग इन्हें ' सिद्ध पुरुष कहते थे ।
4: निम्नलिखित फारसी के कवियों में से 'भारत का सादी' कहा जाता है ?
(A) अमीर हसन
(B) अमीर खुसरो
(C) शेख अबुल फैजी
(D) हुसैन सनाई
अमीर हसन बलबन के काल का प्रसिद्ध विद्वान था । फवायद-उल-फवाद इनकी प्रसिद्ध कृति है । अमीर-हसन-ए-देहलवी उच्च कोटि का गजल रचयिता था । इन्हें भारत का सादी कहा जाता है ।
5: निम्नलिखित सूफियों में से किसने भारत को 'पृथ्वी का स्वर्ग' कहा है ?
(A) बाबा फरीद
(B) शेख निजामुद्दीन औलिया
(C) अमीर खुर्द
(D) अमीर खुसरो
अमीर खुसरो का मूल नाम मोहम्मद हसन था । ये 'तोता-ए-हिन्द के नाम से प्रसिद्ध है । अमीर खुसरो सूफी सन्त निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे । इन्होने अपनी रचना में भारत को 'पृथ्वी का स्वर्ग' कहा है ।
6: निम्नलिखित सूफियों में से किसको अलख कहा जाता था ?
(A) ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती
(B) शेख सलीम चिश्ती
(C) अब्दुल अजीज मक्की
(D) अब्दुल कुदुस गंगोही
अब्दुल कुदुस गंगोही चिश्ती सिलसिला का अनुयायी था। इन्होंने अपनी खानकाह गंगोह (सहारनपुर) में स्थापित की थी जिससे इन्हें गंगोही कहा जाने लगा। ये 'अलख' नाम से कविताएँ लिखते थे इसलिये इन्हें अलख कहा जाता था।
7: गोविन्द किसके गुरु थे ?
(A) रामानुजाचार्य
(B) निम्बार्काचार्य
(C) शंकराचार्य
(D) वल्लभाचार्य
गृहत्याग के पश्चात् सर्वप्रथम शंकराचार्य नर्मदा नदी के तट पर आए । जहाँ गौड़पाद के शिष्य गोविन्द योगी को उन्होंने अपना प्रथम गुरु बनाया । गुरु ने उन्हें परमहंस की उपाधि दी ।
8: निम्नलिखित सूफियों में से कौन, 'मुजद्दीद' अथवा 'सुधारक' के रूप में जाना जाता है ?
(A) दारा शिकोह
(B) ख्वाजा बाक़ी बिल्लाह
(C) शाह वलीउल्लाह
(D) शेख अहमद सरहिन्दी
नक्शबंदिया सिलसिला की स्थापना ख्वाजा बहाउद्दीन नक्शबंद ने की थी । किन्तु भारत में इसका प्रचार ख्वाजा बाकी विल्लाह ने किया था । बाकी विल्लाह के शिष्यों में शेख अहमद फारुख सरहिन्दी प्रमुख हैं जो कि मुजद्दीद अर्थात इस्लाम धर्म के सुधारक नाम से विख्यात है ।
9: सूफियों के किस सम्प्रदाय अथवा सिलसिला से शेख बहाउद्दीन जकारिया सम्बद्ध थे ?
(A) चिश्ती
(B) कादिरी
(C) नक्शबन्दी
(D) सुहरावर्दी
सुहरावर्दी सम्प्रदाय अथवा सिलसिला के संस्थापक शेख जियाउद्दीन अबुलजीव थे । इनके अतिरिक्त शेख शहाबुद्दीन सुहरावर्दी इस सम्प्रदाय का प्रसिद्ध सूफी था । शेख शहाबुद्दीन के प्रमुख शिष्यों में शेख बहाउद्दीन जकारिया , शेख हमीउद्दीन नागौरी थे ।
10: निम्नलिखित में से कौन-सा आलवार सन्त था ?
(A) अप्पार
(B) कुलशेखर
(C) सम्बन्दार
(D) वेंकटनाथ
कुलशेखर जो केरल का राजा था आलबार सन्त था । वह संस्कृत और तमिल का पण्डित था ।
11: निम्नलिखित में से कौन-सी एक रचना गुरु गोविन्दसिंह की नहीं है ?
(A) 'चण्डी दी वार'
(B) 'वचित्र नाटक'
(C) 'जपजी साहिब'
(D) 'जफरनामा'
गुरु नानक ने 'जपजी साहिब' की रचना की थी, जिसमें प्रारम्भिक हिन्दी और पंजाबी भक्ति काव्य का संकलन है ।
12: निम्नलिखित भक्ति सन्तों पर विचार कीजिए-
1.दादूदयाल 2. गुरु नानक 3. तुलसीदास
उपरोक्त में से कौन उस समय उपदेश देता था/देते थे जब लोदी वंश का पतन हुआ तथा बाबर सत्तारूढ़ हुआ ?
कूट :
(A) 1 व 3
(B) केवल 2
(C) 2 व 3
(D) 1 व 2
दादूदयाल का समय 1554 ई० से 1603 ई० था । गुरु नानक का समय 1469 ई ० से 1538 ई ० था तथा तुलसीदास का समय 1532 ई ० से 1623 ई ० था तथा लोदी वंश के पतन का समय 1526 ई० माना जाता है जब बाबर ने पानीपत का प्रथम युद्ध जीता था । अत : उस समय गुरुनानक उपदेश दे रहे थे ।
13: मध्यकालीन भारत का वह कौन सा सन्त कवि था, जिसने षड्-दर्शन के मूल्यों को अस्वीकार किया तथा निपख मार्ग का अनुमोदन किया ?
(A) कबीर
(B) मलूकदास
(C) दादू दयाल
(D) रैदास
'निपख' के मार्ग का अनुमोदन दादू दयाल ने किया था । इन्होंने एक असाम्प्रदायिक मार्ग (निपख सम्प्रदाय) का उपदेश दिया । सुन्दर दास तथा रज्जब उनके प्रसिद्ध शिष्य थे । दादू दयाल ने विनम्रता, अहं से निर्लिप्त रहने और ईश्वर के प्रति समर्पित रहने की शिक्षा दी है । ईश्वर की प्राप्ति न केवल दादू अपितु अनेक सन्तों की सामाजिक साधना का अमृत प्राप्त होता है । संक्षेप में, दादू ने ईश्वरीय भक्ति को समाज सेवा संघ मानवतावादी दृष्टि से सम्बद्ध किया । दादू ग्रन्थावली से उद्भूत संकल्पनाओं में से एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण संकल्पना है-गुरु की संकल्पना ।
14: 'सेना' के गुरु का नाम था-
(A) माधव
(B) निम्बार्क
(C) नामदेव
(D) रामानंद
• सेना एवं नामदेव रामानुज के शिष्य थे । सेना जिनका सही नाम सेन है एक निम्न जाति के सन्त थे । गोरा (कुम्हार), संवत (माली), सेन (नाई) और जानालाई (नौकरानी) नामदेव के मित्र थे । सेना रामानन्द के 12 शिष्यों में से एक थे ।
• नामदेव दर्जी जाति के थे । उन्होंने 15 वीं सदी में महाराष्ट्र में भक्ति मार्ग को बहुत लोकप्रिय बनाया । उनका जीवनकाल 15 वीं शताब्दी का पूर्वार्द्ध माना जाता है । उन्होंने मराठों के राजनैतिक उत्थान में बुनियादी काम किया ।
• माधव का जन्म 1199 ई० में कर्नाटक के उड्डीपी जिला में विल्लग्राम में हुआ था । 1303 ई० में उनकी मृत्यु हुई थी । निम्बार्क 12 वीं सदी में हुए थे ।
15: निम्नलिखित में से किसने कामरूप एवं कूच बिहार में वैष्णव धर्म का प्रवर्तन किया ?
(A) चैतन्य
(B) शंकरदेव
(C) ज्ञानेश्वर
(D) वल्लभाचार्य
शंकरदेव ने कामरूप एवं कूच बिहार मे वैष्णव धर्म का प्रवर्तन किया । 'शरण सम्प्रदाय' या महापुरुषीय सम्प्रदाय के ये प्रवर्तक थे । इन्होंने सवोच्च देवता को महिला सहयोगियों (जैसे लक्ष्मी, राधा, सीता आदि) को मान्यता प्रदान नहीं की । शंकरदेव के सम्प्रदाय में भागवत पुराण या श्रीमद् भागवत को गुरुद्वारों में अन्य साहिब की भांति इस सम्प्रदाय के मन्दिरो को वेदी पर श्रद्धापूर्वक प्रतिष्ठित किया । शंकरदेव मूर्ति पूजा एवं कर्मकाण्ड दोनों के विरोधी थे । ये अकेले कृष्ण मार्गो वैष्णव सन्त थे जो मूर्ति के रूप में कृष्ण की पूजा के विरोधी थे |
16: नाथ सम्प्रदाय का संस्थापक किसे माना जाता है ?
(A) गोरखनाथ
(B) मत्स्येन्द्रनाथ
(C) एकनाथ
(D) तुकाराम
नाथ सम्प्रदाय भारत का एक हिंदू धार्मिक पन्थ है। मध्ययुग में उत्पन्न इस सम्प्रदाय में बौद्ध, शैव तथा योग की परम्पराओं का समन्वय दिखायी देता है। यह हठयोग की साधना पद्धति पर आधारित पंथ है। शिव इस सम्प्रदाय के प्रथम गुरु एवं आराध्य हैं। इसके अलावा इस सम्प्रदाय में अनेक गुरु हुए जिनमें गुरु मच्छिन्द्रनाथ /मत्स्येन्द्रनाथ तथा गुरु गोरखनाथ सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं। नाथ सम्प्रदाय समस्त देश में बिखरा हुआ था। गुरु गोरखनाथ ने इस सम्प्रदाय के बिखराव और इस सम्प्रदाय की योग विद्याओं का एकत्रीकरण किया, अतः इसके संस्थापक गोरखनाथ माने जाते हैं।
17: निम्नलिखित में से पुष्टिमार्ग के आचार्य कौन थे ?
(A) रामानुजाचार्य
(B) निम्बार्काचार्य
(C) वल्लभाचार्य
(D) माध्वाचार्य
- पुष्टिमार्ग के आचार्य वल्लभाचार्य थे । इनका यह मत 'दया के मार्ग' के नाम से भी जाना जाता है । इन्होंने 'शुद्ध-अद्वैत मत' का प्रतिपादन किया । ये कृष्ण के उपासक थे । उनका मत था कि ईश्वर शुद्ध है और इनमें कोई परिवर्तन अथवा रूपान्तरण नहीं होता है । इनके अनुसार गृहस्थ आश्रम में रहते हुए भी भक्ति मार्ग के द्वारा मोक्ष की प्राप्ति सम्भव है । विजयनगर सम्राट ने इन्हें ' जगद्गुरु महाप्रभु श्रीमदाचार्य की उपाधि से विभूषित किया था । वल्लभाचार्य के अनुसार जीव तीन प्रकार के हैं- (1) प्रवाह जीव, (2) मर्यादा जीव, (3) पुष्टि जीव ।
18: निम्नलिखित शासकों में से कौन बंगाल के महान् वैष्णव सन्त चैतन्य का समकालीन था ?
(A) शम्सुद्दीन इलियास शाह
(B) सिकन्दर शाह द्वितीय
(C) ग्यासुद्दीन आजम शाह
(D) अलाउद्दीन हुसैन शाह
अलाउद्दीन हुसैन शाह बंगाल के महान् वैष्णव सन्त चैतन्य का समकालीन था । अलाउद्दीन हुसैन शाह बंगाल के मुस्लिम शासकों में श्रेष्ठ और विख्यात था । हिन्दुओं के प्रति विशेष उदाहरण के कारण उसे 'कृष्ण का अवतार', 'नृपति तिलक' और 'जगत भूषण' आदि उपाधियाँ प्रदान की गई ।
19: भक्ति का रुद्र सम्प्रदाय निम्नलिखित में से किससे सम्बद्ध है ?
(A) रामदास
(B) शंकराचार्य
(C) तुलसीदास
(D) वल्लभाचार्य
भक्ति का रुद्र सम्प्रदाय वल्लभाचार्य से सम्बद्ध है । वल्लभाचार्य भगवान श्रीकृष्ण के उपासक भक्त सन्त थे । इन्होंने कृष्ण की साकार भक्ति पर बल दिया । इनका जन्म 1478 ई० में एक तैलंग ब्राह्मण परिवार में हुआ था । इनकी माता का नाम यल्लमगरु तथा पिता का नाम लक्ष्मण भट्ट था । मुस्लिम प्रशासन के आतंक के कारण इनके पिता दक्षिण चले गए । विजयनगर में कृष्णेदव राय के दरबार में इन्होने शास्त्रार्थ में शैव पण्डितों को परास्त किया । विजयनगर सम्राट ने इन्हें 'जगद्गुरु महाप्रभु श्रीमदाचार्य' की उपाधि से विभूषित किया था । वल्लभाचार्य ने शुद्धाद्वैतवाद' को आगे बढ़ाया, इसके प्रवर्तक विष्णु स्वामी माने जाते हैं । वल्लभाचार्य के अनुसार जीव तीन प्रकार के उत्त हैं- (1) प्रवाह जीव (2) मर्यादाजीव (3) पुष्टि जीव । भागवत धर्म में इनका अटूट विश्वास था । वल्लभाचार्य विष्णु स्वामी के भक्ति सिद्धान्तों से प्रभावित हुए और उनके विचारों को अधिक सुस्पष्ट कर एक नए मार्ग का प्रतिपादन किया , जिसे 'पुष्टि मार्ग' कहते हैं । इस पुष्टि मार्ग का आधार 'गीता ब्रह्म सूत्र' था । वल्लभाचार्य बहुत बड़े विद्वान थे । उन्होंने अणु भाष्य सिद्धान्त रहस्य तथा भगवत सूक्ष्म टीका सुबोधिनी, 'शृंगाररसमण्डन, विद्वानमण्डन तथा तत्त्वदीपनिबन्ध आदि की रचना की । उनके शिष्यों में 'सूरदास' प्रमुख थे ।
20: निम्नलिखित में से कौन, महानुभाव सम्प्रदाय का संस्थापक था ?
(A) एकनाथ
(B) चक्रधर
(C) ज्ञानेश्वर
(D) तुकाराम
'महानुभाव सम्प्रदाय' या 'जय कृष्णि पन्थ' की स्थापना सन् 1267 ई० में चक्रधर स्वामी ने की थी । यह एक धार्मिक एवं सामाजिक आन्दोलन था जिसमें जाति एवं परम्परागत धार्मिक संस्कारों को त्यागकर सभी को स्वीकार किया गया । चक्रधर स्वामी ने अपने शिष्यों से कहा कि ईश्वर सभी युग में अवतार लेते है । उन्होंने पाँच स्रोत अवतारों का उल्लेख किया-कृष्ण, दत्तात्रेय, श्रीचक्रपाणि, गोविन्दप्रभु तथा स्वयं चक्रधर स्वामी । उनका संस्मरण लीला चरित्र के रूप में उनके शिष्यों द्वारा संग्रहित है । महाराष्ट्र को उन्होंने अपनी कर्मभूमि बनाया । अत: 'महानुभाव पन्ध' के तीर्थस्थल महाराष्ट्र में सर्वाधिक है ।