1: निम्नलिखित कथनों पर विचार करें -
1. पूर्वी रोमन शासक जस्टिनियन को सर्वाधिक प्रसिद्धि उसके न्याय संबंधी सुधारों से मिली।
2. जस्टिनियन रोमन कानून के संपूर्ण संशोधन के लिए उत्तरदायी था।
(A) केवल 1 सही है
(B) केवल 2 सही है
(C) 1 और 2 दोनों सही है
(D) इनमे से कोई नहीं
पूर्वी रोमन शासक जस्टिनियन को सर्वाधिक प्रसिद्धि उसके न्याय संबंधी सुधारों से मिली। जस्टिनियन रोमन कानून के संपूर्ण संशोधन के लिए उत्तरदायी था।
2: कलिंग नरेश खारवेल का संबंध था-
(A) महामेघवाहन वंश से
(B) चेदि वंश से
(C) रठ-भोजक वंश से
(D) उपर्युक्त सभी
खारवेल (193 ईसापूर्व) कलिंग (वर्तमान ओडिशा) में राज करने वाले महामेघवाहन वंश का तृतीय एवं सबसे महान तथा प्रख्यात सम्राट था। खारवेल के बारे में सबसे महत्वपूर्ण जानकारी हाथीगुम्फा में चट्टान पर खुदी हुई सत्रह पंक्तियों वाला प्रसिद्ध शिलालेख है। हाथीगुम्फा, भुवनेश्वर के निकट उदयगिरि पहाड़ियों में है। इस शिलालेख के अनुसार यह जैन धर्म का अनुयायी था। उसने पंडितों की एक विराट् सभा का भी आयोजन किया था, ऐसा उक्त प्रशस्ति से प्रकट होता है।
3: निम्नलिखित राजाओं में से किसका जैन धर्म के प्रति भारी झुकाव था?
(A) दशरथ
(B) बृहद्रथ
(C) खारवेल
(D) हुविष्क
कलिंग का चेदि वंशीय शासक खारवेल प्राचीन भारतीय इतिहास के महानतम सम्राटों में से एक था। उड़ीसा के भुवनेश्वर से तीन मील की दूरी पर स्थित उदयगिरि पहाड़ी की हाथीगुम्फा से उसका एक बिना तिथि का अभिलेख प्राप्त हुआ है। यह अभिलेख खारवेल का इतिहास जानने का एकमात्र स्रोत है। इसका जैन धर्म के प्रति भारी झुकाव था।
4: कलिंग नरेश खारवेल निम्न में से किस वंश से संबंधित थे?
(A) चेदि
(B) कदंब
(C) कलिंग
(D) हर्यक
कलिंग का चेदिवंशीय शासक खारवेल प्राचीन भारतीय इतिहास के महानतम सम्राटों में से एक था। उड़ीसा प्रान्त के भुवनेश्वर से तीन मील की दूरी पर स्थित उदयगिरि पहाड़ी की हाथीगुम्फा से उसका एक बिना तिथि का अभिलेख प्राप्त हुआ है। यह अभिलेख खारवेल का इतिहास जानने का एकमात्र स्रोत है। इसका जैन धर्म के प्रति भारी झुकाव था।
5: निम्नलिखित राजाओं में से कौन जैन धर्म का संरक्षक था?
(A) अशोक
(B) हर्ष
(C) पुलकेशिन द्वितीय
(D) खारवेल
कलिंग का चेदिवंशीय शासक खारवेल प्राचीन भारतीय इतिहास के महानतम सम्राटों में से एक था। उड़ीसा के भुवनेश्वर से तीन मील की दूरी पर स्थित उदयगिरि पहाड़ी की हाथीगुम्फा उसका एक बिना तिथि का अभिलेख प्राप्त हुआ है। यह अभिलेख खारवेल का इतिहास जानने का एकमात्र स्रोत है। इसका जैन धर्म के प्रति भारी झुकाव था।
6: राजा खारवेल का नाम जुड़ा है-
(A) गिरनार के स्तंभ लेख के साथ
(B) जूनागढ़ स्तंभ लेख के साथ
(C) हाथीगुम्फा लेख के साथ
(D) सारनाथ लेख का साथ
कलिंग का चेदिवंशीय शासक खारवेल प्राचीन भारतीय इतिहास के महानतम सम्राटों में से एक था। उड़ीसा ‘‘ओडिशा’’ प्रान्त के भुवनेश्वर से तीन मील की दूरी पर स्थित उदयगिरि पहाड़ी की ‘हाथीगुम्फा’ से उसका एक बिना तिथि का अभिलेख प्राप्त हुआ है। यह अभिलेख खारवेल का इतिहास जानने का एकमात्र स्रोत है। इसका जैन धर्म के प्रति भारी झुकाव था।
7: निम्नलिखित मे से कौन-सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?
(A) नासिक - गौतमीपुत्र
(B) हाथीगुम्फा - खारवेल
(C) भितरी - पुलकेशिन द्वितीय
(D) गिरनार - रूद्रदामन प्रथम
गौतमीपुत्र शातकर्णि सातवाहन वंश का शक्तिशाली शासक था। इसके तीन अभिलेख प्राप्त होते हैं। दो नासिक से तथा एक कार्ले से। उदयगिरि पहाड़ी की ‘हाथीगुम्फा’ से खारवेल का एक बिना तिथि का अभिलेख प्राप्त हुआ है। इसमें खारवेल के बचपन, शिक्षा, राज्याभिषक तथा राजा होने के बाद से तेरह वर्षाें तक के शासन की घटनाओं का क्रमबद्ध विवरण दिया हुआ है। भितरी स्तंभ लेख का संबंध गुप्त शासक स्कंदगुप्त से है, जबकि पुलकेशिन द्वितीय का संबंध ऐहोल अभिलेख से है, जो एक प्रशस्ति के रूप में है तथा इसकी भाषा संस्कृत है। रूद्रदामन प्रथम का जूनागढ़ ‘गिरनार’ से शक संवत् 72 ‘‘150 ई0’’ का अभिलेख प्राप्त होता है। यह प्रशस्ति के रूप में है। इससे उसकी विजयों, व्यक्तित्व एवं कृतियों का विवरण प्राप्त होता है।
8: निम्नलिखित शासकों में से किसके लिए ‘एका ब्राम्हण’ प्रयुक्त हुआ है?
(A) पुष्यमित्र शुंग
(B) खारवेल
(C) गौतमीपुत्र शातकर्णि
(D) सुशर्मन्
सातवाहन शासक गौतमीपुत्र शातकर्णि को नासिक अभिलेख में ‘एका ब्राम्हण’ कहा गया है, जिसका तात्पर्य है, ‘अद्वितीय ब्राम्हण’ अथवा ‘ब्राम्हणों का एकमात्र रक्षक’।
गौतमी पुत्र के समय तथा उसकी विजयों के बारें में हमें उसकी माता गौतमी बालश्री के नासिक शिलालेखों से सम्पूर्ण जानकारी मिलती है। उसके सन्दर्भ में हमें इस लेख से यह जानकारी मिलती है कि उसने क्षत्रियों के अहंकार का मान-मर्दन किया था।
उसका वर्णन शक, यवन तथा पहलाव शासको के विनाश कर्ता के रूप में हुआ है। उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि क्षहरात वंश के शक शासक नहपान तथा उसके वंशजों की उसके हाथों हुई पराजय थी।
9: निम्न में से कौन-सा स्थान सातवाहनों की राजधानी था?
(A) प्रतिष्ठान
(B) नागार्जुनकोंडा
(C) शकल अथवा स्यालकोट
(D) पाटलिपुत्र
सातवाहनों की वास्तविक राजधानी प्रतिष्ठान या पैठन में अवस्थित थी। पुराणों में इस राजवंश को आंध्रभृत्य या आंध्र जातीय कहा गया है। उनकी आरंभिक राजधानी अमरावती मानी जाती है। इस वंश की स्थापना सिमुक नामक व्यक्ति ने लगभग 60 ई0पू0 में कण्व वंशीय शासक सुशर्मा की हत्या करके की थी।
10: सातवाहनों की राजधानी अवस्थित थी-
(A) अमरावती में
(B) नांदेड़ में
(C) नालदुर्ग में
(D) दुर्ग में
सातवाहनों की वास्तविक राजधानी प्रतिष्ठान या पैठन में अवस्थित थी। पुराणों में इस राजवंश को आंध्रभृत्य या आंध्र जातीय कहा गया है। उनकी आरंभिक राजधानी अमरावती मानी जाती है। इस वंश की स्थापना सिमुक नामक व्यक्ति ने लगभग 60 ई0पू0 में कण्व वंशीय शासक सुशर्मा की हत्या करके की थी।
11: आंध्र सातवाहन राजाओं की सबसे लंबी सूची किस पुराण में मिलती है?
(A) वायु पुराण
(B) विष्णु पुराण
(C) मत्स्य पुराण
(D) उपरोक्त में से किसी में नहीं
पुराणों में कुल तीस सातवाहन राजाओं के नाम मिलते हैं, जिनमें से सबसे लंबी सूची मत्स्य पुराण में 19 राजाओं की मिलती है।
12: निम्न राजवंशों में सबसे पुराना राजवंश था-
(A) चालुक्य
(B) पल्लव
(C) राष्ट्रकूट
(D) सातवाहन
उपर्युक्त राजवंशों में सबसे पुराना राजवंश सातवाहन है। इसने ईसापूर्व 230 से लेकर दूसरी सदी (ईसा के बाद) तक केन्द्रीय दक्षिण भारत पर राज किया। यह मौर्य वंश के पतन के बाद शक्तिशाली हुआ था। इनका उल्लेख ८वीं सदी ईसापूर्व में मिलता है। अशोक की मृत्यु (सन् 232 ईसापूर्व) के बाद सातवाहनों ने खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया था। सीसे का सिक्का चलाने वाला पहला वंश सातवाहन वंश था |
13: पहला ईरानी शासक जिसने भारत के कुछ भाग को अपने अधीन किया था-
(A) साइरस
(B) केम्बिसिस
(C) डेरियस प्रथम
(D) शहार्श
ईरानी शासक डेरियस प्रथम ‘‘522-486 ई0पू0’’ ने सर्वप्रथम भारत के कुछ भाग को अपने अधीन किया था। हेरोडोटस के अनुसार, डेरियस प्रथम के साम्राज्य में संपूर्ण सिंधु घाटी का प्रदेश शामिल था तथा पूर्व की ओर इसका विस्तार राजपूताना के रेगिस्तान तक था। पर्सिपोलिस एवं नक्शेरूस्तम के शिलालेखों के अनुसार, पंजाब भी उसके साम्राज्य में शामिल था।
14: प्राचीन काल के भारत पर आक्रमणों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही कालानुक्रम है?
(A) यूनानी-शक-कुषाण
(B) यूनानी-कुषाण-शक
(C) शक-यूनानी-कुषाण
(D) शक-कुषाण-यूनानी
भारत में बाह्य आक्रमणों के कालों का सही कालानुक्रम निम्न प्रकार है-यूनानी (326 ई.पू.सिकंदर महान), शक(सीथियन) (प्रथम शताब्दी ई.पू.), कुषाण (पहली शताब्दी ई.)
15: निम्नलिखित में से किस मूर्ति कला में सदैव हरित स्तरित चट्टान ‘शिस्ट’ का प्रयोग माध्यम के रूप में हुआ है -
(A) मौर्य मूर्ति कला
(B) मथुरा मूर्ति कला
(C) भरहुत मूर्ति कला
(D) गांधार मूर्ति कला
गांधार कला में सदैव हरित स्तरित या शिस्ट चट्टान का प्रयोग ही मूर्तियां बनाने के लिए किया जाता था यद्यपि मथुरा कला में भी इसी के अनुसरण पर शिस्ट का प्रयोग किया गया था।
16: गांधार कला शैली एक संश्लेषण है-
(A) भारतीय तथा फारसी कला का
(B) भारतीय तथा चीनी कला का
(C) भारतीय तथा तुर्की-अफगानिस्तान कला का
(D) भारतीय तथा यूनानी कला का
गांधार शैली भारतीय और यूनानी आकृति की सम्मिश्रण शैली है। इस कला शैली के प्रमुख संरक्षक शक एवं कुषाण थे। इस कला का विषय मात्र बौद्ध होने के कारण इसे यूनानी बौद्ध, इंडो ग्रीक या ग्रीको रोमन भी कहा जाता है।
17: जो कला शैली भारतीय और यूनानी ‘ग्रीक’ आकृति का सम्मिश्रण है, उसे कहते हैं-
(A) शिखर
(B) वेरा
(C) गांधार
(D) नागर
भारतीय और यूनानी आकृति की सम्मिश्रण शैली गांधार शैली है। इस कला शैली के प्रमुख संरक्षक शक एवं कुषाण थे। इस कला का विषय मात्र बौद्ध होने के कारण इसे ‘यूनानी-बौद्ध’, इंडो-ग्रीक या ग्रीको-रोमन भी कहा जाता है।